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कृष्ण भक्ति2

भारतीय धर्म और संस्कृति के इतिहास में कृष्ण सदैव एक अद्भुत व विलक्षण व्यक्तित्व माने जाते रहें है| हमारी प्राचीन ग्रंथों में यत्र – तत्र कृष्ण का उल्लेख मिलता है जिससे उनके जीवन के विभिन्न रूपों का पता चलता है| यदि वैदिक व संस्कृत साहित्य के आधार पर देखा जाए तो कृष्ण के तीन रूप सामने आते है - १. बाल व किशोर रूप, २. क्षत्रिय नरेश, ३. ऋषि व धर्मोपदेशक | श्रीकृष्ण विभिन्न रूपों में लौकिक और अलौकिक लीलाएं दिखाने वाले अवतारी पुरूष हैं | गीता, महाभारत व विविध पुराणों में उन्ही के इन विविध रूपों के दर्शन होतें हैं | कृष्ण महाभारत काल में ही अपने समाज में पूजनीय माने जाते थे | वे समय समय पर सलाह देकर धर्म और राजनीति का समान रूप से संचालन करते थे | लोगों में उनके प्रति श्रद्या और आस्था का भाव था | कृष्ण भक्ति काव्य धारा के कवियों ने अपनी कविताओं में राधा – कृष्णा की लीलाओं को प्रमुख विषय बनाकर वॄहद काव्य सॄजन किया। इस काव्यधारा की प्रमुख विशेशतायें इस प्रकार है– १. राम और कृष्ण की उपासना समाज में अवतारवाद की भावना के फलस्वरूप राम और कृष्ण दोनों के ही रूपों का पूजन किया गया | दोन