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आत्म-संगीत

1 आधी रात थी। नदी का किनारा था। आकाश के तारे स्थिर थे और नदी में उनका प्रतिबिम्ब लहरों के साथ चंचल। एक स्वर्गीय संगीत की मनोहर और जीवनदायिनी, प्राण-पोषिणी घ्वनियॉँ इस निस्तब्ध और तमोमय दृश्य पर इस प्रकाश छा रही थी, जैसे हृदय पर आशाऍं छायी रहती हैं, या मुखमंडल पर शोक। रानी मनोरमा ने आज गुरु-दीक्षा ली थी। दिन-भर दान और व्रत में व्यस्त रहने के बाद मीठी नींद की गोद में सो रही थी। अकस्मात् उसकी ऑंखें खुलीं और ये मनोहर ध्वनियॉँ कानों में पहुँची। वह व्याकुल हो गयी—जैसे दीपक को देखकर पतंग; वह अधीर हो उठी, जैसे खॉँड़ की गंध पाकर चींटी। वह उठी और द्वारपालों एवं चौकीदारों की दृष्टियॉँ बचाती हुई राजमहल से बाहर निकल आयी—जैसे वेदनापूर्ण क्रन्दन सुनकर ऑंखों से ऑंसू निकल जाते हैं। सरिता-तट पर कँटीली झाड़िया थीं। ऊँचे कगारे थे। भयानक जंतु थे। और उनकी डरावनी आवाजें! शव थे और उनसे भी अधिक भयंकर उनकी कल्पना। मनोरमा कोमलता और सुकुमारता की मूर्ति थी। परंतु उस मधुर संगीत का आकर्षण उसे तन्मयता की अवस्था में खींचे लिया जाता था। उसे आपदाओं का ध्यान न था। वह घंटों चलती रही, यहॉँ तक कि मार्ग में नदी ने उसका गत

श्रवण एवं भाषा

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श्रवण एवं भाषा के विकास क्रम सुनने एवं बोलने के व्यवहार का विकासक्रम एवं नवजात शिशुओं में भाषा का विकास जैसे-जैसे बच्चा शारीरिक एवं मानसिक रूप से बडा होता जाता हैं, आवाज के प्रति उसकी व्यवहारिक प्रतिक्रिया विकसित और ज्यादा कठिन हो जाती हैं। इन व्यवहारों का बच्चे की उम्र एवं बौद्घिक स्तर से सीधा संबंध हैं। जन्म से तीन महींने तक ऑडिटरी रिसपॉन्स (Auditory Response): अगर जोर से आवाज की जाए जैसे कि ताली या अलार्म की आवाज आदि, तो आपका शिशु नींद से जाग जाएगा या हिलना-डुलना शुरू कर देगा या जागना शुरू कर देंगा। जोर की आवाज सुनते ही, शिशु रोना शुरू कर देंगा एवं चौकना (startle) करना शुरू कर देगा। बोली एवं भाषा का विकास: आपके बच्चे को कूइंग (cooing) में आनंद आता हैं (कूइंग आवाज निकालना) और 'गर्गलिंग' में आनंद आता हैं (गडगड की आवाज निकालना) तीन महीने से छह महीने तक ऑडिटरी रिसपॉन्स (Auditory Response): बच्चा अपनी माँ की आवाज को मुख्यत: पहचानने लगता हैं जैसे कि अगर बच्चा रो रहा हैं तो वह अपनी माँ की आवाज सुनकर चुप हो जाता हैं। जब उसके साथ