एक राष्ट्र और एक राष्ट्रभाषा का पवित्र संकल्प लेकर गाँधीजी ने इस समिति की प्राण प्रतिष्ठा की और उनकी परिकल्पनाओं को मूर्त रूप देने में डाँ राजेन्द्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल नेहरू , नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, जमनालाल बजाज, चक्रवर्ति राजगोपालाचारी, राजर्षि पुरूषोत्तम टंडन, आचार्य काकासाहेब कालेलकर, पं. माखनलाल चतुर्वेदी, आचार्य नरेन्द्र देव आदि महापुरुषों ने जो अथक परिश्रम किया , वा इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है.