कैंसर की गोली

कैंसर की सटीक गोली 5 साल में बाजार में आ सकती है। इसे तैयार कर रहे वैज्ञानिकों का दावा है कि यह पैनक्रिएटिक, ब्रेस्ट और किडनी कैंसर में फायदेमंद साबित हुई है, लेकिन यह सभी तरह के ट्यूमर के इलाज में फायदा कर सकती है। इसके साइड इफेक्ट काफी कम होंगे और यह कैंसर के इलाज का पूरा तरीका बदल देगी।

कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी की टीम की इस खोज के बारे में नेचर मेडिसिन पत्रिका में बताया गया है। इसके मुताबिक, केजी 5 नाम की यह दवा कैंसर कोशिकाओं की संरचना में बदलाव करके उनकी संख्या बढ़ने (प्रोलिफेरेशन) से रोकती है। ऐसे में वे खुद को ही खत्म कर लेती हैं और धीरे-धीरे कैंसर की सभी कोशिकाएं मिट जाती हैं। यह दवा ब्लड की सप्लाई ट्यूमर तक पहुंचने से भी रोकती है।

टीम के लीड साइंटिस्ट डेविड चेरेश के मुताबिक, केजी 5 का इलाज का तरीका कैंसर के परंपरागत इलाज से एकदम अलग है। मौजूदा दवाएं ट्यूमर फैलाने वाले प्रोटीन 'आरएएफ एंजाइम' की गतिविधि रोक देती हैं, लेकिन केजी 5 आरएएफ की संरचना में बदलाव कर देती है, जिससे यह उदासीन हो जाता है। आरएएफ को अभी तक ट्यूमर को बढ़ाने वाले एंजाइम के रूप में जाना जाता था, लेकिन कोशिकाओं के विभाजन में भी इसकी भूमिका पहली बार सामने आई है। केजी5 कोशिकाओं के विभाजन के दौरान नई कोशिकाओं से आरएएफ को अलग करती है और स्वस्थ व पुरानी कोशिकाओं पर कोई असर नहीं डालती। इस तरह इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। कैंसर की मौजूदा दवाएं कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ स्वस्थ कोशिकाओं को भी नष्ट कर देती हैं, जिससे कई तरह के साइड इफेक्ट पैदा हो जाते हैं। मौजूदा दवाओं की तरह केजी 5 ट्यूमर पर असर करना कभी बंद नहीं करेगी, क्योंकि ट्यूमर बाकी दवाओं की तरह इसके अनुरूप खुद को ढाल नहीं पाते।

पशुओं और कैंसर के मरीजों से लिए गए टिश्यूज पर केजी 5 का परीक्षण किया जा चुका है। इस बीच टीम ने पहली बार तैयार हुई केजी 5 से 100 गुना बेहतर कंपाउंड बना लिए हैं। उम्मीद है कि अगले 18 महीनों में इस दवा का इनसानों पर भी परीक्षण कर लिया जाएगा।

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